Sunday, June 8, 2025

MP News: जिसको समझा कुलदेवता वह निकला Dinasour का अंडा, ऐसे हुआ रहस्यमयी खुलासा, लोग हैरान, जानें पूरा मामला?

MP News: कई लोग पत्थर को देवता मानकर पूजते हैं, यह तो आपने सुना या देखा होगा। लेकिन अगर वह पत्थर किसी जीव का अंडा हो, तो आप क्या कहेंगे? शायद आपको हमारी बात मजाक लगे, लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसा हुआ है। जी हां, दरअसल, मध्यप्रदेश के धार में जिसे लोग कुलदेवता मानकर पूजा कर रहे थे, वह डायनासोर का अंडा निकला। वैज्ञानिकों की जांच में मामला सामने आया, जिसके बाद लोग हैरान हैं।

MP News: खेती के दौरान खुदाई में मिले थे

‘काकर’ का मतलब है कि खेत और ‘भैरव’ देवता हैं। मांडलोई की तरह उनके गांव के बहुत से लोग इस तरह की आकृति की पूजा कर रहे थे, जो उन्हें धार और आसपास के इलाकों में खेती के दौरान खुदाई में मिले थे। हालांकि, अब नए तथ्य सामने आने के बाद लोग दुविधा में हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वह देवता समझकर पूजा कर रहे थे और करते रहेंगे। MP News

MP News: जांच की तो पता चला

बीते दिनों लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक धार के ग्राम पाडल्या पहुंचे। डायनासोर के इतिहास और मध्यप्रदेश के इस क्षेत्र में उनके अवशेष का पता लगाने पहुंची टीम को पता चला कि यहां खेतों में लोगों को गोलाकार वस्तु मिली थी, जिसकी लोग पूजा करते हैं। वैज्ञानिकों ने जब इनकी जांच को तो पता चला कि असल में ये डायनासोर के अंडे हैं।

MP News: पहले भी मिल चुके हैं अंडे

पुरातत्त्वविदों का कहना है कि मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी में डायनासोर युग में धरती से लुप्त हो चुके इन प्राणियों की अच्छी संख्या थी। इसी साल जनवरी में भी धार में 256 अंडे मिले थे। इनका आकार 15 से 17 सेमी का था। माना जाता है कि 6.6 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का बसेरा था, तब इंसानों की उत्पत्ति नहीं हुई थी।

MP News: खेती और मवेशियों की रक्षा करते हैं कुलदेवता

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पांडलया गांव के निवासी 40 साल के वेस्ता मांडलोई को खुदाई के दौरान एक गोलाकार पत्थरनुमा आकृति वाली वस्तु मिली थी। उन्होंने इसे अपने पूर्वजों के कुल देवता के रूप में स्वीकृत किया। वेस्ता इस गोलकार पत्थर की पूजा करके भैरव के रूप में श्रद्धापूर्वक बैठते रहे। उनके घर में यह परंपरा पूर्वजों से आ रही है, जिस पर वे आगे भी अमल कर रहे हैं। उनका विश्वास है कि यह कुलदेवता खेती और मवेशियों की रक्षा करते हैं और उन्हें संकट से बचाते हैं।

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