इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave) के दूसरे दिन गुरुवार को, महात्मा गांधी और डॉ. बीआर आंबेडकर पर हुई चर्चा में महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी, RBI के मुख्य अर्थशास्त्री और IMF के सलाहकार नरेंद्र जाधव, दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन मिलिंद कांबले और पत्रकार/लेखक मनोज मिट्टा शामिल हुए। (India Today Conclave)
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जाधव बोले, गांधीजी का व्यक्तित्व आज भी वैसा ही है (India Today Conclave)
चर्चा की शुरुआत में बोलते हुए नरेंद्र जाधव ने कहा कि गांधीजी का व्यक्तित्व जैसा था, वैसा ही आज भी है। इसमें न तो वृद्धि हुई है और न ही कमी। हालांकि, जब हम डॉ. आंबेडकर की बात करते हैं, तो एक पूर्ण परिवर्तन हुआ है। यह परिवर्तन अभूतपूर्व है, क्योंकि अब लोगों को यह एहसास हो रहा है कि डॉ. आंबेडकर की विद्वता हर मानव अधिकार के क्षेत्र को कवर करती है।
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आंबेडकर सिर्फ दलितों के नेता नहीं थे?
महात्मा गांधीजी के परपोते और लेखक तुषार गांधी ने कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर सिर्फ दलितों के नेता नहीं थे। वे देश के नेता थे। उन्होंने कहा कि दिखावा करना बहुत आसान है। विदेश जाओ, गांधी प्रतिमाओं के साथ अपनी तस्वीरें खींचो, और फिर वापस आकर उन लोगों के साथ बैठो, जिन्होंने बापू की तस्वीरों पर गोलियां चलाईं, और उन सांसदों के साथ बैठो जो उन्हें गाली देते हैं। पूरा मामला यही है। उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक हलकों में नाथूराम गोडसे को पूजते हुए राजघाट पर सिर झुकाने की भी एक प्रथा है। उन्होंने सवाल किया कि आपको (जनता) क्या लगता है कि 2 अक्टूबर को नाथूराम क्यों ट्रेंड हुआ? (India Today Conclave)
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हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्षधर थे गाँधी
तुषार गांधी के बाद, मनोज मिट्टा ने कहा कि गांधी ने हमेशा हिंदू-मुस्लिम एकता की वकालत की थी, जिसके लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित किया। लेकिन उनकी आज बात ही नहीं हो रही है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के वर्तमान परिदृश्य पर बात करते हुए कहा कि डॉ. बी.आर. आंबेडकर ने जम्मू-कश्मीर के लिए तीन भागों में विभाजन का सुझाव दिया था, जिसमें जम्मू, कश्मीर, और लद्दाख शामिल थे। उन्होंने आगे कहा कि जब गांधी और आंबेडकर के बारे में बात होगी तो उनके बारे में विस्तृत रूप से विचार करना होगा। (India Today Conclave)
डॉ. आंबेडकर सफल पेशेवर वकील थे
चर्चा में मौजूद मिलिंद कांबले ने डॉ. भीमराव आंबेडकर पर बात करते हुए कहा कि बाबा साहब लंदन और अमेरिका से पढ़कर आए थे। उन्हें संविधान के लिए तो याद किया जाता है, लेकिन मेरी दृष्टि में उन्हें सबसे अधिक इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में याद किया जाना चाहिए। उनकी सभी डिग्रियां इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में थीं। उसके बाद, उन्होंने इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर के रूप में भी काम किया। उनकी कई लीगेसी थी, जैसे कि उन्होंने एक स्कॉलरशिप के तहत दो डिग्रियाँ प्राप्त की थीं। वे हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म में कनवर्ट हो गए थे और वे सफल पेशेवर वकील थे, साथ ही मुंबई की कई बड़ी कंपनियों में कॉर्पोरेट लॉयर भी थे। (India Today Conclave)