Sunday, December 14, 2025

Ashok Singhal: कौन थे अशोक सिंघल? हिन्दु जागरण के लिए किया इतना बड़ा काम…

Ashok Singhal: विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल का 15 सितंबर 1926 को आगरा में हुआ था। बचपन से ही धार्मिक माहौल में पले-बढ़े। देश की आज़ादी, अंग्रेज शासन और सामाजिक परिवर्तन के बीच उनका झुकाव प्रारंभिक उम्र में ही आरएसएस की ओर हो गया। 17 नवंबर 2015 को निधन हो गया। 89 वर्ष की आयु में उनका जाना हिंदू संगठनों के लिए बड़ी क्षति थी। राम मंदिर आन्दोलन के लिए अलग-अलग मतों और पंथों में बंटे साधु-समाज को एक मंच पर लाना आसान नहीं था, लेकिन अशोक सिंघल की ख़ासियत देखिए कि उन्होने अपनी धर्म-साधना के बल पर इसे भी सरल बना दिया था।

कक्षा 9 में RSS से जुड़े

घर के धार्मिक वातावरण और संतों के संपर्क ने उनके भीतर हिंदुत्व के प्रति झुकाव पैदा किया। कक्षा नौ में महर्षि दयानंद सरस्वती की जीवनी पढ़ने के बाद उनका मन और अधिक प्रभावित हुआ। 1942 में प्रयाग में पढ़ाई करते समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) ने उन्हें संघ से जोड़ दिया था , जिसके बाद सिंघल ने नियमित रूप से शाखा में जाना शुरू किया और आरएसएस के वैचारिक आधार को अपनाया।

इंजीनियरिंग छोड़कर सेवा मार्ग अपनाया

अशोक सिंघल ने 1950 में BHU से मेटलर्जी साइंस में इंजीनियरिंग पूरी की, लेकिन नौकरी की बजाय उन्होंने सेवा का मार्ग चुना। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में काम किया।

शास्त्रीय संगीत में गहरा लगाव

अशोक सिंघल शास्त्रीय गायन में भी निपुण थे। संघ के कई गीतों की धुन उन्होंने ही तैयार की थी। कठिन परिस्थितियों के बावजूद वे संघ में सक्रिय रहे। 1948 में संघ पर प्रतिबंध के बाद वे सत्याग्रह कर जेल भी गए।

आपातकाल में सक्रिय योगदान

1975-77 के आपातकाल में भी सिंघल ने संघ के साथ मिलकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखा। आपातकाल के बाद उन्हें दिल्ली का प्रांत प्रचारक बनाया गया।

विश्व हिंदू परिषद से जुड़ाव और विस्तार

1981 के विराट हिंदू सम्मेलन के बाद उन्हें VHP (विहिप) के प्रमुख कार्यों की जिम्मेदारी दी गई। उनके नेतृत्व में विहिप में धर्म जागरण, सेवा, संस्कृत प्रचार, परावर्तन और गोरक्षा जैसे प्रमुख अभियान जुड़े।

राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख निर्माता

अशोक सिंघल सबसे ज्यादा जाने जाते हैं राम जन्मभूमि आंदोलन के कारण। 1984 में विज्ञान भवन में धर्म संसद में रणनीति तैयार की गई, जिसमें सिंघल मुख्य संचालक थे।

उनके नेतृत्व में—

  • मंदिर आंदोलन गांव-गांव तक पहुंचा
  • देशभर से 50,000 कारसेवक जुटाए गए
  • राम जन्मभूमि आंदोलन राष्ट्रीय मुद्दा बना
  • 1992 में बाबरी ढांचा गिराने वाले कारसेवकों का नेतृत्व भी सिंघल ने ही किया

उन्होंने कहा था:
“हम मस्जिद तोड़ने नहीं, राम मंदिर निर्माण के संकल्प से गए थे।”

अंतरराष्ट्रीय प्रचार और अंतिम समय

अशोक सिंघल ने विहिप के विस्तार के लिए दुनिया के कई देशों की यात्राएं कीं। 2015 में फेफड़ों में संक्रमण की वजह से उनकी हालत बिगड़ती गई और 17 नवंबर 2015 को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में उनका निधन हो गया।

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