Chandrayan-3: चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड हो जाएगा। इसकी शुरुआत 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से की गई थी। इस लैंडिंग के बाद, यह 41 दिनों में 3.84 लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी करके एक नया इतिहास रचेगा।
Highlights…
लैंडर चंद्रमा पर पहुँचते ही रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर उससे बाहर निकलेगा और चंद्रमा की सतह पर आएगा। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर एक-दूसरे की फोटो खिचकर उन्हें पृथ्वी पर भेजेंगे। इस मिशन में सफलता पाने पर, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनेगा।

यदि Chandrayan-3 के दोनों इंजन काम नहीं करेंगे तो भी, लैंडिंग करेगा
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को विक्रम की लैंडिंग के संबंध में यह कहा था – ‘अगर सब कुछ विफल हो जाता है, अगर सभी सेंसर्स विफल हो जाते हैं, कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) लैंड होगा, जब तक कि एल्गोरिदम सही से काम करेगा। हमने यह भी निश्चित कर लिया है कि इस बार विक्रम के दो इंजन काम नहीं करेंगे, तब भी वह लैंडिंग करेगा।’

लैंडिंग की शुरुआत में गति 6,048 किलोमीटर प्रति घंटा होगी
इसरो के चेयरमैन ने बताया कि Chandrayan-3 के आखिरी 19 मिनट श्वास रोकने वाले होंगे। लैंडिंग की शुरुआत में गति 6,048 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। चाँद पर लैंड होते समय, यह गति 10 किलोमीटर प्रति घंटा से भी कम होगी। निकलने के लिए स्थान का चयन इसरो कमांड सेंटर से नहीं होगा। लैंडर अपने कंप्यूटर द्वारा स्थान का चयन करेगा।
अगर आज ना हुई लैन्डिंग तो फिर क्या होगा ?
अगर आज लैंडिंग नहीं होगी तो, इसका मतलब है कि 27 अगस्त को लैंडिंग होगी। चंद्रमा पर पहुंचने से दो घंटे पहले, लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर की गई अवस्थाओं के आधार पर यह तय किया जाएगा कि उस समय की लैंडिंग उचित होगी या नहीं। अगर कोई भी परिस्थिति सामान्य मानकों में नहीं होती है, तो लैंडिंग का आयोजन 27 अगस्त को किया जाएगा।

Chandrayan-3 की दूसरी और अंतिम डीबगिंग कार्रवाई रविवार रात 1:50 बजे पूरी हो गई थी। इसके बाद, लैंडर मॉड्यूल और चंद्रमा के बीच न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबगिंग के दौरान, अंतरिक्ष यान की गति को धीरे-धीरे कम किया गया है।

Chandrayan-3 के लैंडिंग में चार चरण होंगे
- रफ ब्रेकिंग:
- इस चरण में, लैंडर लैंडिंग स्थल से 750 किमी की दूरी पर होगा और उसकी गति 1.6 किमी/सेक होगी।
- यह चरण 690 सेकेंड तक चलेगा। इस दौरान, विक्रम के सभी सेंसर्स कैलिब्रेट होंगे।
- 690 सेकेंड में, क्षैतिज गति 358 मीटर/सेक और नीचे की दिशा में 61 मीटर/सेक होगी।
- एल्टिट्यूड होल्ड:
- विक्रम चंद्रमा की सतह की तस्वीर खिचेगा और पहले से मौजूद तस्वीरों के साथ उन्हें तुलना करेगा।
- चंद्रयान-2 के समय, यह चरण 38 सेकेंड का था, लेकिन अब इसे 10 सेकेंड में किया गया है।
- इस दौरान, क्षैतिज वेग 336 मीटर/सेक और ऊपर की दिशा में 59 मीटर/सेक होगी।
- फाइन ब्रेकिंग:
- यह चरण 175 सेकेंड तक चलेगा और उसकी गति 0 तक पहुँचेगी।
- लैंडर की स्थिति पूरी तरह से लंबवत हो जाएगी।
- सतह से ऊंचाई 800 मीटर से 1300 मीटर के बीच होगी।
- विक्रम के सेंसर्स सक्रिय होंगे और ऊँचाई का माप होगा।
- फिर से तस्वीरें ली जाएंगी और तुलना की जाएगी।
- टर्मिनल डिसेंट:
- अगले 131 सेकेंड में, लैंडर सतह से 150 मीटर ऊपर उठेगा।
- लैंडर पर लगे हेजर्ड डिटेक्शन कैमरा सतह की छवियाँ कैप्चर करेगा।
- विक्रम पर लगे हेजर्ड डिटेक्शन कैमरा गो-नो-गो परीक्षण आयोजित करेगा।
- यदि सब ठीक है, तो विक्रम 73 सेकेंड में चंद्रमा पर उतर जाएगा।
- यदि गो-नो-गो की स्थिति बनी रहेगी, तो वह 150 मीटर आगे बढ़कर ठहरेगा।
- फिर से सतह की जांच की जाएगी और सब ठीक होने पर विक्रम लैंड हो जाएगा।
लैंडिंग के बाद क्या होगा?
- डस्ट सेटल होने के बाद, विक्रम सक्रिय होकर संवाद करेगा।
- फिर, रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चंद्रमा की सतह पर आएगा।
- प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की मिट्टी पर अशोक स्तंभ और ISRO लोगो की छाप छोड़ेगा।
- विक्रम लैंडर प्रज्ञान की तस्वीर खिचेगा और प्रज्ञान विक्रम की तस्वीर खिचेगा।
- ये तस्वीरें पृथ्वी पर भेजी जाएंगी।

अब तक की Chandrayan-3 की यात्रा…
इस मिशन को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- पृथ्वी से चंद्रमा की ओर यात्रा
- 14 जुलाई को चंद्रयान को पृथ्वी की 170 किमी x 36,500 किमी की कक्षा में छोड़ दिया गया।
- 15 जुलाई को पहली बार उसकी कक्षा को बढ़ाकर 41,762 किमी x 173 किमी की गई।
- 17 जुलाई को दूसरी बार उसकी कक्षा को बढ़ाकर 41,603 किमी x 226 किमी की गई।
- 18 जुलाई को तीसरी बार उसकी कक्षा को बढ़ाकर 51,400 किमी x 228 किमी की गई।
- 20 जुलाई को चौथी बार उसकी कक्षा को बढ़ाकर 71,351 किमी x 233 किमी की गई।
- 25 जुलाई को पांचवीं बार उसकी कक्षा को बढ़ाकर 1,27,603 किमी x 236 किमी की गई।
- पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा तक यात्रा
- 31 जुलाई और 1 अगस्त रात्रि को चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर बढ़ा दिया गया।
- 5 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की 164 किमी x 18074 किमी की कक्षा में प्रवेश किया।
- चंद्रमा की कक्षा से लैंडिंग तक यात्रा
- 6 अगस्त को Chandrayan-3 की कक्षा को पहली बार कम करके 170 किमी x 4313 किमी की गई।
- 9 अगस्त को चंद्रयान की कक्षा को दूसरी बार कम करके 174 किमी x 1437 किमी की गई।
- 14 अगस्त को Chandrayan-3 की कक्षा को तीसरी बार कम करके 150 किमी x 177 किमी की गई।
- 16 अगस्त को Chandrayan-3 ने लगभग 153 किमी x 163 किमी की गोलाकार कक्षा में प्रवेश किया।
- 17 अगस्त को Chandrayan-3 ने प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया।
- 18 अगस्त को विक्रम लैंडर डीबूस्टिंग प्रक्रिया से 113 x 157 किमी की कक्षा में पहुंचा।
- 20 अगस्त को विक्रम लैंडर डीबूस्टिंग प्रक्रिया से 25 x 134 किमी की कक्षा में पहुंचा।