औषधीय पौधों की खेती: कहते हैं खेती करना दुनिया का सबसे उत्तम कार्य है लेकिन आज किसान की आने वाली पीढ़ी इससे बच रही है लेकिन अगर कोई किसान सही सूझबूझ के साथ समय की मांग को देखते हुए सही ढंग से खेती करता है तो आज भी यह सबसे अच्छा कार्य है, खेती बाड़ी से जुड़ी खबरों के क्रम में आज हम आपको औषधीय पौधों की खेती के बारे में बता रहे हैं। साथ ही वैज्ञानिक तरीके से औषधीय पौधों से लाभ लेने के टिप्स भी दिए जा रहे है।
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उत्तर प्रदेश के झांसी में किसानों को 3 दिवसीय औषधीय पौधों की खेती (cultivation of medicinal plants) का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। किसानों को वैज्ञानिक तरीके से पौधों से लाभ लेने के टिप्स भी दिए जा रहे है। किसानों को पौधों को लगाने और उनसे आय में इजाफा करने की जानकारी दी जा रही है। बालाजी रोड स्थित ग्राम आरी ब्लाक बड़ागॉव जिला झांसी में रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक किसानों को सुगंधीय व औषधीय पौधों पर 3 दिवसीय ट्रैनिंग दी जा रही है।
इसके बाद बुंदेलखंड की जलवायु एवं मृदा के लिए उपयुक्त है। वैज्ञानिकों ने कहा औषधीय पौधों की खेती आधारित लघु उद्योग किसान भाइयों की आय में वृद्धि कर सकते हैं। इससे किसानों की आर्थिक दशा में सुधार लाया जा सकता है। इस प्रशिक्षण में बुजुर्ग, नवयुवक, महिलाओं के साथ-साथ गांव के पढ़ने वाले बच्चे भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
CSIR-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान किसानों के लिए सुगंधित फसलों की खेती के लिए प्रशिक्षण दे रहा है। साथ ही किसानों को फसलों की प्रोसेसिंग की सम्पूर्ण जानकारी भी किसानों को दी जाएगी। इस दौरान फसल की गुणवत्ता और उसकी बाजार में मांग किस तरह की है इस बारे में भी जरूरी सूचनाएं किसान को मुहैया कराई जाएंगी।
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