Enemy Property: उत्तराखंड सरकार ने देहरादून में अफगानिस्तान के राजा याकूब खान का महल जिसे काबुल हाउस कहा जाता है, को सील कर दिया है। इसकी कीमत को 400 करोड़ रुपये से भी अधिक बताया जा रहा है। वहां रह रहे 300 परिवारों के सामने संकट पैदा हो गया है। कुछ दिन पहले, देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट ने सभी को इस ज़मीन से कब्जा हटाने का आदेश जारी किया था और ज़मीन खाली करने के लिए 15 दिन का नोटिस दिया था। सरकार की ओर से इस महल को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है। आख़िरकार सरकार ने यह कदम क्यों उठाया और शत्रु संपत्ति क्या होती है, इसे विस्तार से समझते हैं। Enemy Property
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क्या है पूरा मामला?
उत्तराखंड के देहरादून में काबुल हाउस का निर्माण राजा मोहम्मद याकूब खान ने 1879 में करवाया था। स्वतंत्रता के समय पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो उनके वंशज भी पाकिस्तान चले गए। इसके बाद से यहां 16 परिवार काफी लंबे समय से रह रहे थे। इन व्यक्तियों ने इस स्वामित्व पर अपने दावों को लेकर नकली दस्तावेज जमा किए थे। यह मामला पिछले 40 साल से जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश था। अब सरकार ने सीलिंग के कार्यों की प्रारंभ कर दी है। हालांकि याकूब खान के वंशजों का दावा है कि वे कभी भी यहां से नहीं गए हैं और वे अभी भी इस क्षेत्र में मौजूद हैं। याकूब के वंशजों के अनुसार, याकूब के 11 पुत्र और 11 पुत्रियां थीं, जिनमें से कुछ पाकिस्तान चले गए जबकि कुछ यहीं रह गए। Enemy Property
क्या होती है शत्रु संपत्ति (Enemy Property)
जब भारत आजाद हुआ तो कुछ लोग भारत से पाकिस्तान में चले गए, लेकिन उनकी संपत्ति भारत में ही रह गई। भारत सरकार ने इसे “शत्रु संपत्ति” घोषित किया। इस संदर्भ में भारत सरकार ने 10 सितंबर 1959 को एक आदेश जारी किया और फिर 18 दिसंबर 1971 को एक और आदेश जारी किया गया। इसके बाद देश भर में ऐसी सभी संपत्तियाँ “शत्रु संपत्ति” के रूप में स्वतः घोषित की गईं। Enemy Property
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एक लाख करोड़ है कीमत
सूचना के अनुसार, पिछले दिनों केंद्र सरकार ने 9,400 ऐसी संपत्तियों की पहचान की थी। इन संपत्तियों की मूल्य 1 लाख करोड़ रुपये के आस-पास बताई जा रही है। मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान भी इस अधिनियम में संशोधन किए गए थे। इस कानून के तहत, इन संपत्तियों के मालिकों को अपनी संपत्ति के प्रबंधन के लिए कुछ अधिकार भी प्राप्त हैं। Enemy Property
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कोर्ट तक पहुंच चुका है मामला
शत्रु संपत्ति के मामले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। इन्हीं में से एक मामला मुहम्मद आमिर मुहम्मद खान का भी था। इन्हें राजा महमूदाबाद के नाम से जाना जाता था। यह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सीतापुर के निवासी थे। स्वतंत्रता संग्राम के बाद उनके पिता, आमिर अहमद खान, ईराक चले गए थे। कई वर्षों तक वे ईरान में रहे, फिर 1957 में उन्होंने पाकिस्तान की नागरिकता प्राप्त की। हालांकि उनके बेटे मुहम्मद आमिर मुहम्मद खान भारत में ही रहे। 1965 के युद्ध के बाद सरकार ने राजा महमूदाबाद की संपत्ति को लखनऊ, नैनीताल और सीतापुर में शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया।
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