Sunday, June 8, 2025

पैसा कमाना चाहते हो तो, इनसे सीखें खुद के स्टार्टअप से हर महीने कैसे कमा रहे लाखों रुपये…

स्टार्टअप: बिहार में सीतामढ़ी जिले के रहने वाले कृष्ण मोहन कुमार उर्फ छोटू आज अपने इलाके में स्टार्टअप शुरू करके युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गए है। बेरोजगारों की फौज में शामिल छोटू ने जब सरकारी या निजी कंपनियों में नौकरी करने की जगह अपना स्टार्ट अप शुरू करने का निर्णय लिया, तो प्रारंभ में थोड़ी कठिनाई जरूर आई। लेकिन अब वे कई अन्य युवाओं भी रोजगार दे रहे हैं।

दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो मुश्किलें स्वत: आसान होती चली जाती है और व्यक्ति मुकाम हासिल कर लेता है। बहुत सारे युवा संघर्ष करना ही नही चाहते है। यह भी सच है कि जो संघर्ष करते है, उन्हें देर से सही सफलता मिलती ही है। ऐसे संघर्षों ​और सफलता की अनेकों किस्से है। इन किस्सों के बीच किरदार कृष्ण मोहन कुमार उर्फ छोटू की भी है। कैसे संघर्षों एवं धैर्य के बदौलत कुछ हासिल किया जाता है, इसके मिसाल छोटू है। इस युवा कारोबारी ने संघर्ष कर सफलता की वह लकीर खींची है, जो युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।

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​छोटू के स्टार्टअप से बेरोजगारों को सीख लेने की जरूरत

बिहार के सीतामढ़ी जिले के युवा कारोबारी छोटू ने खुद एक स्टार्टअप शुरू किया है। जिसके तहत वे अगरबती का बिजनेस करते है। खुद का ही कारखाना है। अगरबती बनाने से लेकर और कई जिलों में बिक्री भी खुद हीं करते हैं। वे उन युवाओं के लिए एक सबक एवं प्रेरणा बन गए है, जो सरकारी-निजी नौकरी होने के कारण निराश रहते है और कोई काम करने के बजाए हाथ पर हाथ रख अपनी किस्मत को कोसते रहते है। युवा कारोबारी छोटू अगरबती के कारोबार से खुद बेहतर आय करने के साथ ही गांव के 11 लोगों को रोजगार भी दिए हुए है।

यूट्यूब से मिला स्टार्टअप का इंडिया

कभी शिक्षित बेरोजगारों की फौज में छोटू का भी नाम हुआ करता था। छोटू कहते है कि मन में बेरोजगार होने की कसक बनी रहती थी। यह एक तरह से बड़ा ‘दाग’ था। मन में निराशा ‘घर’ करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कुछ करने का जज्बा था, तो उन्होंने काफी सोच विचार कर अगरबती कारखाना बैठाने का निर्णय लिया। उनके दिल में यह बात आई कि अगरबती एक ऐसा सामान है, जिसका उपयोग हर घर में होता है। इसकी मांग जन्म से लेकर मृत्यु तक के संस्कारों में होती है। किसी भी मौसम में इसकी खपत कम नहीं होती। देश में मंदी भी होने पर इस कारोबार पर कोई फर्क नही पड़ेगा।

​पूंजी के उपाय में काफी मशक्कत

बोखड़ा प्रखंड अंतर्गत बुधनगरा गांव निवासी राकेश चौधरी के पुत्र छोटू ने बताया कि यूट्यूब पर अगरबत्ती निर्माण का वीडियो को देखा था। कारोबार शुरू करने के लिए पूंजी सबसे बड़ी समस्या थी। प्रोजेक्ट के साथ पीएनबी की बनौल के शाखा से संपर्क किया। ताकि ऋण मिल सके।

बैंक ने पीएमईजीपी के अंतर्गत लोन अप्लाई करने का सलाह दिया। साथ ही बताया, ऋण पर सरकार 35 फीसदी सब्सिडी देती है। तब उन्होंने जिला उद्योग केंद्र से संपर्क किया। काफी भागदौड़ के बाद उन्हें 10 लाख रूपया ऋण मिला। फिर अगरबत्ती निर्माण का स्टार्टअप शुरू किया। काम चल निकला। कुछ दिनों के बाद ही बेरोजगार महिला व पुरूषों को कारोबार से जोड़ा। ये लोग भी मिल रही मजदूरी से खुश है और अपना परिवार चला रहे है।

​फिलहाल पांच जिलों में सप्लाई​

छोटू ने बताया कि फिलहाल उनकी अगरबती की पांच जिलों मुज़फ्फरपुर, शिवहर सीतामढ़ी, दरभंगा और मधुबनी में सप्लाई हो रही है। हर माह करीब पांच लाख की अगरबत्ती बिक रही है, जिससे 50 से 55 हजार की कमाई हो रही है। साथ ही 11 लोगों को रोजगार भी दिये हुए है। गुड्डू कुमार ने बताया कि वे अगरबत्ती उद्योग में मार्केटिंग का काम देख रहे हैं। 14 हजार मजदूरी मिलता है। साथ हीं अधिक सेल करने पर इंसेंटिव भी मिलता है। यहां काम के हिसाब से लोगों को हर माह वेतन दिया जा रहा है। करीब दो साल से कारोबार चल रहा है।

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