Nag Panchami: नागपंचमी के त्यौहार पर सांपों को दूध पिलाने की परंपरा लम्बे समय से चली आ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस परंपरा के अनुसार Nag Panchami के ही दिन या फिर उसके कुछ दिनों बाद कितने सांपों की मौत हो जाती होगी। बता दें कि इस बार नागपंचमी 21 अगस्त यानी कि सोमवार को है। अगर आप भी ऐसा ही करते आए हैं तो इस बार इस नागपंचमी का त्यौहार मनाने से पहले यहां बताई गई कुछ बातों पर एक बार गौर जरूर कर लें। ताकि परंपराओं के नाम पर कहीं बेजुबान जीवों की जान न चली जाए।

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भविष्य पुराण में है नागपूजा का जिक्र
भविष्य पुराण के पंचमी कल्प में नागपूजा व नागों को दूध अर्पित करने का जिक्र है। मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में नाग देवता की पूजा करने और नाग पंचमी के दिन दूध अर्पित करने से नाग देवता प्रसन्न हो जाते हैं और नाग दंश का खतरा टल जाता है। इसका कारण यह है कि महाराज जनमेजय द्वारा किए गए नाग यज्ञ से नागों का शरीर जल गया था।
तो नागों की रक्षाआस्तिक मुनि ने की थी और अग्नि से बचाने के लिए इनके जलते हुए शरीर पर दूध डालकर शीतलता प्रदान की थी। जब से ही यह भी मान्यता बनी हुई है कि नागों की पूजा करने से धन लाभ अर्जित होता है। मगर विज्ञान की बात पर अमल करें तो सांप को दूध पिलाना सर्प के लिए बहुत ही खतरनाक है।
क्या हैं Nag Panchami पर नाग को दूध पिलाने की धार्मिक मान्यताएं ?
Nag Panchami के दिन सांप को दूध पिलाने व धान का लावा अर्पित करने की परंपरा पहले से ही चली आ रही है। इस दिन सपेरे नागों के दर्शन करवाने के लिए टोलियों में घर घर जाते हैं और भिक्षा मांगते हैं। श्रद्धालु नागों को दूध पिलाकर सपेरे को भी दान देते हैं। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ही यह भी माना गया है कि नाग को पिलाए गए दूध का पाचन न हो पाने कि वजह से या प्रत्यूर्जता से उनकी मौत तक हो जाती है।
इसलिए हिन्दू धर्म शास्त्रों में Nag Panchami पर नागों को दूध न पिलाकर बल्कि उन्हें दूध से स्नान कराने को कहा गया है। लेकिन लोगों ने इसके विपरीत सांप को दूध पिलाने की परंपरा ही शुरू कर दी जो अब तक चली या रही है। जबकि इससे सांपों की जिंदगी पर संकट आता है।
Nag Panchami पर सांप को दूध पिलाने पर वैज्ञानिक मत

विज्ञान कहता है सर्पों को दूध पिलाना बहुत ही खतरनाक है। विज्ञान की मानें तो सांप रेप्टाइल जीव हैं न कि वह स्तनधारी है । रेप्टाइल जीव में दूध को हजम करने कि क्षमता नहीं होती है और ऐसे में उनकी मृत्यु तक भी हो जाती है। दूध पिलाने से सांप की आंत में बहुत खतरनाक इन्फेक्शन हो सकता है। और सांपों की जान पर संकट आ जाता है।
यह भी है मुख्य वजह
दरअसल Nag Panchami से महीनों पहले जंगल से सांपों को पकड़ा जाता है। उसके बाद इन्हें से भूखा-प्यासा रखा जाता है और कई बार तो इनके दांत तक भी निकाल लिए जाते हैं। ताकि ये किसी को काट न सकें। एक महीने तक ऐसी स्थिति में रहने के बाद सांप का शरीर सूख जाने के साथ ही उनकी मांसपेशियां भी कमजोर पड जाती हैं। इसी वजह से एक महीने तक भूखा-प्यासा रहने के बाद सांप नागपंचमी वाले दिन दूध पिलाने पर वह तेजी से दूध पी लेते हैं। जो कि इनके लिए बहुत ही नुकसानदेय साबित होता है।
Nag Panchami पर दूध ऐसे बन जाता है सांप के लिए जहर
सर्प विशेषज्ञों के अनुसार कुछ सपेरे Nag Panchami से पहले ही सांपों को पकड़कर उनके दांत तोड़ देते हैं और उनकी जहर की पोटली निकाल लेते हैं। इससे सांप के मुंह में घाव(जख्म) हो जाता है। इसके बाद सांप को भूखा भी रखा जाता है और नागपंचमी के दिन दूध पिलाते हैं।
चूंकि सांप मांसाहारी होता है इसलिए भूखा-प्यासा सांप दूध को पानी समझकर तुरन्त पी लेता है। जिससे उनके मुंह के घाव में मवाद बन जाता है और पीड़ा बन जाती है। कुछ दिनों बाद ही सांपों की मृत्यु तक हो जाती है। इसलिए बेहतर यही होगा कि नागपंचमी पर केवल पूजा पाठ करें और सांपों को दूध पिलाने से बचें।
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