पीएम विश्वकर्मा योजना: अगर आप कुम्हार, बढ़ई, सुनार, हैं या इस तरह के किसी काम से जुड़े हुए हैं तो पीएम विश्वकर्मा योजना आपके काम की हो सकती है। पीएम मोदी ने अपने 73वें जन्मदिन पर देशवासियों को एक बड़ा तोहफा दिया। इस स्कीम में लोगों को लोन के साथ ही स्किल ट्रेनिंग भी मिलेगी।। इस योजना का मकसद पारंपरिक कौशल वाले लोगों को लाभ देना है। आज हम इस योजना की पूरी जानकारी आपकों देंगे कि कैसे कोई व्यक्ति इस योजना का लाभ ले सकता है।
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प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना
इस योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना है। इसे शुरू करके सरकार आने वाले सालों में पारंपरिक कौशल वाले लोगों की मदद करेगी। यह योजना अगले पाँच साल यानी 2023 से 2028 तक लागू रहेगी, साथ ही सरकार ने इस योजना के लिए 13 हज़ार करोड़ रुपए अलग निकालकर रख लिए हैं। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों और हस्तशिल्प श्रमिकों को विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र मिलेगा।
मिलेगा तीन लाख तक का लोन
कुल मिलाकर इस योजना में 3 लाख रुपये तक का लोन देने का प्रावधान है। योजना के पात्र लोगों को पहले चरण में एक लाख तक लोन मिलेगा जो कि ब्याज़ मुक्त होगा। इसके बाद दूसरे चरण में दो लाख रुपए मिलेंगे जिन पर पाँच फ़ीसदी रियायती ब्याज़ देना होगा।। इस योजना के तहत कारीगरों को डिजिटल लेनदेन में प्रोत्साहन और बाजार समर्थन प्रदान किया जाएगा।
ऐसे मिलेगा पीएम विश्वकर्मा योजना योजना का लाभ
इस योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहले आवेदन करना जरूरी है। इसके बारे में अधिक जानकारी जानकारी https://pmvishwakarma.gov.in/ वेबसाइट से ले सकते हैं। 11 सितंबर तक इस पर कुल 11322 लोग आवेदन कर चुके हैं, लेकिन अभी इनके वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
अगर आप इस योजना के पात्र हैं तो आप अपने नजदीकी जनसेवा केन्द्र पर जाकर भी आवेदन करा सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद तीन चरणों में वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी होगी और उसके बाद आवेदन करने वालों को लाभ मिलेगा।
इन्हें मिलेगा योजना का लाभ

योजना का लाभ देने के लिए पहले चरण में 18 पारंपरिक क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इनमें कुम्हार, सुनार, बढ़ई (सुथार), नाव निर्माता, अस्त्र बनाने वाला, लोहार, हथौड़ा व टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाला, मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाला), मोची, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/जूट बुनकर, गुड़िया-खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई, माला बनाने वाले, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले लोगों को शामिल किया गया हैं।
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